बिहार के 134 पुलिसकर्मी पर हुई एफआईआर,943 आपराधिक फाइलें गुम,केस का प्रभार नहीं सौंपने का लगा है आरोप
:-जिले में 134 जांच अधिकारियों (IO) पर बड़ी कार्रवाई हुई है। एसएसपी राकेश कुमार के आदेश पर इन सभी पर एफआईआर दर्ज की गई है। इन पर आपराधिक विश्वासघात का आरोप है। ये सभी IO स्थानांतरण के बाद 943 आपराधिक मामलों की फाइलें अपने साथ ले गए थे।
न्यूज़96इंडिया,बिहार
बिहार के मुजफ्फरपुर जिले 134 (IO) जाँच पदाधिकारी के ऊपर एसएसपी राकेश कुमार के आदेश पर बड़ी कार्यवाही करते हुए एफआईआर दर्ज कर ली गई है।उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि तबादले के बाद भी केसों का प्रभार नहीं सौंपने के मामले में मुजफ्फरपुर जिले के विभिन्न थानों में दारोगा समेत 134 पुलिस पदाधिकारियों पर एफआईआर दर्ज की गई है।मामला दर्ज कर पुलिस की आगे की कार्रवाई में जुटी है।इन पर आपराधिक विश्वासघात का आरोप है।ये सभी (IO)जाँच पदाधिकारी स्थानांतरण के बाद 943 आपराधिक मामलों की फाइलें अपने साथ ले गए थे। इस वजह से कई सालों से पीड़ितों को न्याय नहीं मिल पा रहा है।नगर, सदर, अहियापुर, काजी मोहम्मदपुर, ब्रह्मपुरा, मनियारी समेत आठ थानों में इनके खिलाफ FIR दर्ज हुई है।
मुजफ्फरपुर के 134 पुलिस अफसरों पर FIR:-
मुजफ्फरपुर के एसएसपी राकेश कुमार ने 134 पुलिस जांच अधिकारियों(IO)के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है।बताया जाता है कि इन सभी पुलिस अधिकारियों पर आपराधिक विश्वासघात का मामला दर्ज किया गया है। इन अधिकारियों पर आरोप है कि उन्होंने अपने ट्रांसफर के बाद 943 आपराधिक मामलों की फाइलें अपने साथ लेकर चले गए हैं।इस वजह से सैकड़ों मामलों की सुनवाई अटकी हुई है और पीड़ितों को न्याय नहीं मिल पा रहा है। कुछ मामले तो 5-10 साल से भी ज्यादा पुराने हैं। पीड़ित न्याय के लिए थक-हार कर बैठ गए हैं। यह कार्रवाई ज़िले के आठ थानों में हुई है।इसके तहत काजीमोहम्मदपुर थाने में 11, सदर में 21, ब्रह्मपुरा में 27, अहियापुर में छह, नगर में 54 समेत अन्य थाने में मिलाकर कुल 134 पुलिस पदाधिकारियों पर मामला दर्ज किया गया है।
क्या कहता है एफआईआर:-
जानकारी के अनुसार काजीमोहम्मदपुर थानाध्यक्ष रवि कुमार गुप्ता द्वारा एफआईआर दर्ज कराई है।जिसमें कहा गया है कि दैनिकी प्रतिवेदन के अवलोकन से पाया गया कि काजीमोहम्मदपुर थाना में पूर्व में पदस्थापित पदाधिकारी बहुत सारे केसों का प्रभार बिना सौंपे स्थानांतरित होकर दूसरे थाने व जिले में चले गए हैं। कई बार सूचित करने के बाद भी संबंधित पुलिस पदाधिकारियों द्वारा केसों का प्रभार नहीं सौंपा गया।जिससे पीड़ितों को न्याय नहीं मिल पा रहा है।इस तरह से करीब 10 वर्ष बीत जाने के बाद भी अभी तक केसों का प्रभार नहीं सौंपा गया। इससे केसों का निष्पादन व जांच प्रभावित हो रही है।