Bihar news:उदाकिशुनगंज अनुमंडल को जिला बनाए जाने को लेकर लोगों में सुगबुगाहट तेज,मुख्यमंत्री से मांग
:-उदाकिशुनगंज अनुमंडल को जिला बनाए जाने को लेकर मुख्यमंत्री से की मांग
:-उदाकिशुनगंज अनुमंडल को जिला घोषित करने की मांग अब पकड़ने लगी जोर
:-छोटे जिलों से खुलेंगे विकास के नए रास्ते
न्यूज़96इंडिया,बिहार,कौनैन बशीर,मधेपुरा
उदाकिशुनगंज अनुमंडल को नए जिले बनाने की मांग सालों से उठ रही है,लेकिन राजनीतिक और तकनीकी कारणों से इस पर अमल नहीं हो सका।स्थानीय प्रबुद्ध लोग समय समय पर बैठक कर अपनी मांगों को मजबूती से रखते आए हैं। जिले के लिए वर्षों से लोगों की उठ रही मांग सरकारी फाइलों में दब कर दम तोड़ चुकी है।राजनीतिक एवं प्रशासनिक उपेक्षा का शिकार है।
भौगोलिक दृष्टिकोण से उदाकिशुनगंज को अनुमंडल बनाने की दिशा में कोई ठोस पहल किसी भी नेता के द्वारा नहीं हो रहा है।सामाजिक कार्यकर्ता बसंत कुमार झा सहित सैकड़ों लोगों ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पत्र लिखकर उदाकिशुनगंज अनुमंडल को जिला बनाए जाने की फिर से मांग किया है।
लोगों ने कहा कोशी प्रमंडल के मधेपुरा जिला के उदाकिशुनगंज अनुमंडल की स्थापना 21 मई 1983 को हुई थी. उदाकिशुनगंज अनुमंडल का बहुत ही पुराना एवं स्वर्णिम इतिहास रहा है। भागलपुर,पूर्णिया एवं खगड़िया जिले के सीमा पर अवस्थित उदाकिशुनगंज अनुमंडल के प्रशासनिक क्षेत्र मे कुल 6 प्रखंड शामिल है।
उदाकिशुनगंज अनुमंडल की आबादी लगभग 8 लाख से अधिक है।अनुमंडल में कुल दो विधान सभा आलमनगर एवं बिहारीगंज शामिल है। पिछले कुछ साल मे उदाकिशुनगंज अनुमंडल का अपेक्षित विकास हुआ है।
इतना ही नही अनुमंडल न्यायालय,अनुमंडल उपकारा,अनुमंडल अस्पताल,अनुमंडल कार्यालय भवन,आईटीटी महाविद्यालय कलासन, एएनएम महाविद्यालय उदाकिशुनगंज से सुशोभित अनुमंडल विकसित श्रेणी मे शामिल है। एनएच 106 एवं एसएच 58 उदाकिशुनगंज भटगाम मार्ग के निर्माण के बाद उदाकिशुनगंज अनुमंडल का अंग मिथिलाचंल प्रदेश की राजधानी पटना समेत देश के विभिन्न भागो से सुलभ सड़क संपर्क होने से इस इलाके की तीव्र ओधोगिक एवं आर्थिक विकास की संभावना है।
दिए पत्र में उदाकिशुनगंज अनुमंडल की जनता प्रबुद्ध नागरिक राजनीतिक दल की कार्यकर्ता की मांग पर विचार कर उदाकिशुनगंज अनुमंडल को जिला के रूप मे प्रशासनिक दर्जा प्रदान करने की मांग की है।
छोटे जिले होने से खुल जाती है विकास की राह :-
लोगों ने कहा कि जिले बनने पर विकास की राह बड़े जिले के मुकाबले आसान होती है।वहीं छोटे जिलों में गुड गवर्नेंस और फास्ट सर्विस डिलिवरी से लोगों के जीवनस्तर में सुधार होता है।शहरों के साथ ही गांवों और कस्बों की दूरी जिला मुख्यालय से कम हो जाती है।
इससे आम लोगों और प्रशासन के बीच संवाद बढ़ता है. वहीं, सरकारी मशीनरी की रफ्तार भी बढ़ जाती है।विकास की रफ्तार तेज होने के साथ ही छोटे जिलों में कानून-व्यवस्था नियंत्रण में रखना आसान रहता है।
शहरों और गांवों के बीच कनेक्टिवटी बढ़ने से सरकारी योजनाएं आम लोगों तक जल्दी व आसानी से पहुंचाई जा सकती हैं।वहीं राज्य सरकार के राजस्व में भी इजाफा होता है।
गुड गवर्नेस और फास्ट सर्विस डिलीवरी :-
विकास की रफ्तार तेज,कानून और व्यवस्था बेहतर, कनेक्टिविटी बढ़ेगी,सर्विस डिलीवरी फास्ट,सरकारी योजनाओं को आम लोगों तक ज्यादा आसानी से पहुंचाया जा सकेगा,राजस्व बढ़ेगा।
दूरियां घटेंगी,फासले मिटेंगे :-
जिला मुख्यालय से गांवों और कस्बों की दूरियां घटेंगी, वैसे ही प्रशासन और नागरिकों के बीच संवाद बढ़ेगा और फासले मिटेंगे।कलेक्टर,एसडीओ सहित सरकारी मशीनरी की रफ्तार भी तेज होगी।
नए जिले के लोगों को क्या फायदा होगा :-
कलेक्ट्रेट तक पहुंच जल्द होगी।सभी मुख्यालयों तक पहुंच, सड़क, स्वास्थ्य, पानी, बिजली,सफाई जैसी मूलभूत सुविधाओं में सुधार होगा,औद्योगिक विकास तेज होगा।
पुराने जिले के लोगों को क्या होगा फायदा :-
सर्विस डिलीवरी तेज होगी,संसाधनों पर बोझ घटेगा, सरकारी दफ्तरों में काम जल्द और आसानी से निबटेंगे।
उदाकिशुनगंज अनुमंडल लोग क्या कहते है :-
संजय कुमार सिंह बताते हैं कि उदाकिशुनगंज जिला बनने की सारी प्रक्रियाओं को पूर्ण करता है और यह इस योग्य भी है।यह वर्तमान में अनुमंडल है,इसकी आबादी लगभग 8 लाख से ऊपर है। हम लोग लंबे समय से जिला बनाने की मांग कर रहे हैं।इसके बावजूद अभी तक जिला घोषित नहीं किया गया।बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को इस मामले की जानकारी है। वह भी आश्वासन दिए,लेकिन आज तक कुछ भी नहीं हो सका है।
बसंत कुमार झा ने कहा कि उदाकिशुनगंज अनुमंडल को जिले के अस्तित्व में लाने के लिए बिहार सरकार को गंभीर निर्णय लेने होंगे।वर्षो से चली आ रही उदाकिशुनगंज अनुमंडल को जिले की मांग को पूरा करने के लिए यहां जनता लामबंद है।
उन्होंने कहा कि राज्य में पहले बनाए गए छोटे जिलों का अनुभव देखें तो फायदा ज्यादा है। इसलिए सबसे पिछड़े इलाकों को जिला बनाया जाए तो उनमें विकास ज्यादा तेजी से होगा। संसाधनों का भी बेहतर उपयोग होगा।
संजय कुमार सुमन कहते हैं कि छोटे जिले में विकास का बड़ा स्कोप रहता है।प्रशासनिक व्यवस्थाओं पर निगरानी रहती है।दूर-दराज गावों तक के लोगों को जिला मुख्यालय आने में सुविधा रहती है. बड़े जिलों में जिला मुख्यालय आने-जाने के लिए सौ किमी सफर करना होता है. छोटे जिले ज्यादा कारगर हैं।कानून और व्यवस्था को भी अच्छे ढंग से नियंत्रित किया जा सकता है।
छात्र नेता राहुल कुमार ने कहा कि जिलों का आकार जितना छोटा होगा,प्लानिंग उतनी ही सफल होगी.गांव,पंचायत,ब्लॉक और जिला मुख्यालय का सीधा संवाद होगा।प्रशासन द्वार पर होगा।थोड़ा वित्तीय भार तो आएगा,लेकिन विकास होगा।
पूर्व मुखिया सिकंदर अंसारी ने कहा कि नए जिले बनने से सभी का मुख्यालयों तक पहुंच आसान हो जाएगा।सड़क, बिजली,स्वास्थ्य जैसी जरूरी सुविधाओं में जिले के छोटे होने के कारण सुधार होता है।इससे पुराने जिलों को भी फायदा होता है।पुराने जिले में लोगों तक सरकारी सेवाओं को आसानी से पहुंचाया जाने लगता है।वहीं संसाधनों पर बोझ कम होता है।