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सफ़ेद धूएं की लत में डूबता युवा वर्ग,नशीले पदार्थों का आसानी से उपलब्ध होने से नशे की चंगुल में फंस रहे युवा,वैकल्पिक नशे के रूप में सूखा नशा व कोडिन युक्त कफ सिरप का युवा करने लगे उपयोग

On: July 20, 2025 7:04 AM
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सफ़ेद धूएं की लत में डूबता युवा वर्ग,नशीले पदार्थों का आसानी से उपलब्ध होने से नशे की चंगुल में फंस रहे युवा,वैकल्पिक नशे के रूप में सूखा नशा व कोडिन युक्त कफ सिरप का युवा करने लगे उपयोग

न्यूज़96इंडिया, मधेपुरा,कौनैन बशीर

मधेपुरा जिले के उदाकिशुनगंज अनुमंडल में धीमा जहर स्मैक का नशा तेजी से फैलने लगा है. अब शहर से गांव की तरफ यह नशा बढ़ रहा है. युवाओं को स्मैक का सफेद धुआं अपने आगोश में ले रहा, उनकी सांसों को घोंट रहा है. सैकड़ों युवकों को इसकी लत लग चुकी है. स्मैक की सप्लाइ क्षेत्र के ही लोग कर रहे हैं, जो हर रोज युवा पीढ़ी की सांसोंं में नशीली धुंआ घोल रहे हैं. शहर से लेकर गांव तक युवा इसकी जद में आ रहें हैं.

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ज्ञात हो कि भारत का भविष्य कहे जाने वाले युवा नशे की लत में इतना डूबता जा रहा है कि उन्हें अपना होने का कोई मोल ही मालूम नहीं है. यह एक सभ्य समाज के लिए बहुत ही चिंतनीय है. इसका प्रमुख कारण यह है कि नशीले पदार्थों का आसानी से उपलब्ध हो जाना. जिससे युवा पीढ़ी आकर्षित होकर नशे की चंगुल में फंस जाती है.

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बिहार में शराबबंदी के लागू हुए करीब नो साल गुजर चुके हैं. इन नो वर्षों में बिहार में एक ओर जहां शराब पर पाबंदी रही, वहीं सूखे नशे का चलन तेजी से बढ़ा है. बिहार में शराब के साथ-साथ तमाम प्रकार के नशे के सेवन और बिक्री की सख्त मनाही है. इसके बावजूद सूखे नशे का कारोबार तेजी से बढ़ा है. इससे सबसे अधिक युवा पीढ़ी बर्बाद हो रही है.

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शराब के शौकीन को शराब नहीं मिलने पर वे नशे के लिये कई वैकल्पिक चीजों का इस्तेमाल कर रहे हैं. जिनमें दवा के रूप में प्रयोग होने वाली कोडिन युक्त कफ सिरप, गांजा व बाउन शुगर भी शामिल हैं. यह दवा किसी बीमारी से निजात के लिए नहीं बल्कि नशे के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है. कफ सिरप का इस्तेमाल नशे के रूप में किये जाने का मामला आम हो चुका है. वहीं युवा वर्ग सिगरेट में भरकर गांजा व बाउन शुगर का इस्तेमान कर रहे हैं.

अधिकतर युवा सूखा नशा के चपेट में :-

सूखा नशा की तस्करी में अधिकांश युवा पड़ोसी देश नेपाल से गांजा व स्मैक की तस्करी में अधिकांश युवा वर्ग शामिल है. अधिक मुनाफा के लोभ में यह युवा वर्ग अपने सहपाठियों का भविष्य बर्बाद करने में लगे हुए है. वही कफ सिरप की लगी लत तो छोड़ना मुश्किल लोगों की मानें तो जिसे इस दवा की लत लग गयी है, वो इसके बिना नहीं रह सकता है. यह स्थिति शराबबंदी के बाद बनी है. जब लोगों को आसानी से शराब नहीं मिल पाता है, तब लोग इस तरह के नशे के आदि होने लगे हैं. चिंता का विषय है कि अधिकतर युवा ही इसकी चपेट में आ गये हैं. जानकारों का कहना है कि कोडिन युक्त इन सिरप का सेवन करने से लगभग दो सौ मिलीलीटर शराब के बराबर नशा होता है. खास बात यह भी है कि पीने वाले के मुंह से शराब जैसी दुर्गंध भी नहीं आती.

चोरी छिपे पनप रहा स्मैक का धंधा :-

शहरी व ग्रामीण क्षेत्र में कई ठिकानों पर स्मैक का धंधा चोरी-छिपे पनप रहा है. जहां 300 से 400 रुपये में सफेद धुएं की पुड़िया सहज ही मिल जा रही है. ऐसा नहीं है कि पुलिस को इसकी जानकारी नहीं हो, लेकिन आरोप है कि कुछ पुलिसकर्मी की मिलीभगत से ही यह कारोबार पैर पसार चुका है. हालांकि पुलिस अधीक्षक संदीप कुमार ने नशे के काले कारोबार को लेकर सख्त रूप से कार्रवाई के लिए धंधेबाजों और उन्हें पनाह देने वालों को हिदायत दी है. और कार्यवाही भी कर रहे हैं.

धुएं में लिपटी नई पीढ़ी अपने ही भविष्य को जला रही है :-

सामाजिक कार्यकर्ता बसंत कुमार झा,समाजसेवी आलोक यादव कहते है कि शिक्षा और उज्ज्वल भविष्य के सपने देखने वाली युवा पीढ़ी जब नशे की गर्त में डूबने लगे तो यह समाज के लिए एक गंभीर चिंता का विषय बन जाता है. ऐसा ही देखने को मिल रहा उदाकिशुनगंज अनुमंडल क्षेत्र में. दरअसल, नशे की लत युवाओं के जीवन को धीरे-धीरे अंधकार में धकेल रही है. कलम पकड़कर भविष्य संवारने की उम्र में यहां के कई युवा अब चिलम, स्मैक और नशे की अन्य लतों की गिरफ्त में फंसते जा रहे हैं. कई गांवों और कस्बों में यह समस्या तेजी से बढ़ रही है. पहले जहां युवा अपनी पढ़ाई और कैरियर को लेकर चिंतित रहते थे, अब उनमें से कई नशे की ओर बढ़ते नजर आ रहे हैं. धुएं में लिपटी यह नई पीढ़ी अपने ही भविष्य को जला रही है. इसका मुख्य कारण बेरोजगारी, गलत संगति, और आसानी से उपलब्ध होने वाले सूखे नशीले पदार्थ हैं.

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मिली जुली है लोगों की प्रतिक्रियाएं :-

शराबबंदी को लेकर लोगों की मिली-जुली प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं. लोग मानते हैं कि शराबबंदी एक अच्छी योजना है, लेकिन धरातल पर इसका सही तरीके से पालन नहीं हो रहा है. शराब हर जगह आसानी से उपलब्ध है. और इसकी कीमतें बढ़ने के बावजूद लोग इसे खरीद रहे हैं. कई लोगों का मानना है कि शराबबंदी के चलते सूखे नशे की लत बढ़ रही है, जिससे युवाओं का भविष्य प्रभावित हो रहा है. कुछ लोगों का यह भी कहना है कि शराबबंदी से राज्य के राजस्व में कमी आ रही है और इसका लाभ केवल माफिया उठा रहे हैं. वहीं, कुछ लोग कानून के तहत खुली शराब बिक्री की वकालत कर रहे हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या शराबबंदी का उद्देश्य सही से पूरा हो रहा है, या इसे पुनः विचार करने की आवश्यकता है.

कहते है चिकित्सक :-

चिकित्सा प्रभारी अंकित सौरभ ने बताया कि सूखा नशा यानी दवा, सॉल्यूशन, व्हाइटनर, पेन किलर और दूसरी केमिकल चीजों को सूंघकर या खाकर नशे करने की लत इतनी खतरनाक होती है. कुछ ही दिनों में युवाओं की सेहत खराब होने लगती है और मानसिक संतुलन तक बिगड़ सकता है. ऐसे में युवाओं को खुद जागरूक व दृढ़संकल्प लेना होगा और खुद के जीवन को संभालते हुए सरकार की ओर से स्थापित नशामुक्त संस्थान तक पहुंचे. जिससे उन्हें बेहतर डॉक्टरीय परामर्श के साथ नशा की दुनिया से बाहर निकल सके.

नशे के खिलाफ पुलिस का विशेष अभियान : एसडीपीओ

एसडीपीओ अविनाश कुमार कहते है कि नशे के खिलाफ पुलिस का विशेष अभियान चल रहा है. हाल के दिनों में कई इलाकों से स्मैक,शराब,कोडिनयुक्त कप सिरप बरामद की गई. नशे के धंधे में संलिप्त लोगों को जेल भी भेजा गया है. नशामुक्त समाज बनाना पुलिस की पहली प्राथमिकता है. उन्होंने कहा कि समाज के लोगों को भी इसके लिए आगे आना होगा. नशामुक्त व अपराधमुक्त समाज बनाने में पुलिस का सहयोग जरूरी है.

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