अरार जल वद्यिुत परियोजना चालू होने से उदाकिशुनगंज अनुमंडल होता रोशन,अरार जल विद्युत परियोजना लग गए ग्रहण,अब इस परियोजना की नही होती है चर्चा
:-65 करोड़ की लागत से जल शक्ति गृह का निर्माण किया जाना था
न्यूज़96इंडिया,कौनैन बशीर,मधेपुरा
उदाकिशुनगंज अनुमंडल में ग्वालपाड़ा प्रखंड स्थित कोसी की धारा सुरसर नदी पर अरार घाट के पास विगत वर्ष 1999-2000 में 65 करोड़ की लागत से जल शक्ति गृह का निर्माण किया जाना था.लेकिन अन्य सरकारी योजना की तरह इस जल विद्युत परियोजना पर भी ग्रहण लग गया. अब तो इस परियोजना की चर्चा भी नहीं होती.बताया जाता है कि इस परियोजना के पूर्ण होने पर इससे सात मेगावाट का बिजली का उत्पादन होता. यह बिजली उदाकिशुनगंज पावर ग्रिड सब स्टेशन को आपूर्ति की जाती.अगर अब भी इस परियोजना पर काम शुरू हो तो इस क्षेत्र के विकास का द्वार खुल जायेगा.ज्ञात हो कि परियोजना का निर्माण वर्ष 2012 के दिसंबर में शुरू हो जाता. तत्कालीन उर्जा मंत्री ने वित्तीय वर्ष 1999 -2000 में सुरसर नदी पर अरार घाट सहित कोसी क्षेत्र की अन्य नदियों में भी जल शक्ति की संभावना को देखते हुए पनबिजली परियोजना की स्वीकृति दी थी.

परियोजना को वर्ष 2015 तक पूरा कर लिया जाना था :-
अरार जल शक्ति परियोजना के लिए जमीन अधिग्रहण का कार्य भी शुरू कर दिया गया. वर्ष 2012 के दिसंबर महीना को निर्माण शुरू करने का समय निर्धारित किया गया गया था.जहां इस परियोजना को वर्ष 2015 तक पूरा कर लिया जाना था.मिली जानकारी के अनुसार अधिग्रहण के बाद इस परियोजना के लिए शाहपुर गांव के शंभु सिंह की जमीन अधिग्रहित की गयी.जमीन का मुआवजा राशि भी चेक के जरिये भूस्वामी को विभाग ने भुगतान कर दिया. जब कार्य प्रारंभ करने के लिए स्थल पर पदाधिकारी और कर्मचारी पहुंचे तो आदिवासियों ने विरोध जता कर सबको खदेड़ दिया.इसके बाद प्रशासन ने अपने पांव पीछे खींच लिये.जबकि जमीन आदिवासियों की है भी नहीं थी.निर्माण कंपनी निर्माण कार्य में लगी एजेंसी सोलर सन पावर व वीएफएल मुबंई के पदाधिकारी प्रशासन का सहयोग नहीं मिलने के कारण वापस लौट गये.

परियोजना को 2015 तक पूरा कर लिया जाना था :
इस परियोजना के लिए 62 करोड़ रुपये की स्वीकृति भी राज्य सरकार से मिल चुकी थी.कुल राशि में से 3.36 करोड़ रुपये बिहार सरकार को देना था और शेष राशि नाबार्ड देती.जहां शक्ति गृह 50.08 मीटर लंबा, 40.95 मीटर चौड़ा और 24.80 मीटर उंचा बनाया जाना था. इसमें चार टरबाइन लगाया जाता जिसकी स्पीड 70 आरपीएम होती.विद्युत उत्पादन में प्रतिदिन 4500 क्यूसेक पानी डिस्चार्ज होना था.जबकि चयनित स्थल पर पानी का बहाव पूर्ण स्वत: 98.30 मिलीमीटर और कम से कम 96.16 मिलीमीटर है. विद्युत निर्माण पुल की लंबाई 95.50 मीटर होती. तीन स्लुइस गेट तथा जल नि:स्सरण गेट का निर्माण होता.लेकिन आदिवासी का विरोध ही जिम्मेदार नहीं बल्कि कमजोर राजनीतिक इच्छाशक्ति के कारण यह परियोजना मूर्त रूप नहीं ले सकी है.परियोजना के निर्माण से स्थानीय लोगों को काफी लाभ होता.वही अरार बाजार का भी विस्तार होता. गांव-शहर को पर्याप्त रोशनी मिलती.

केंद्रीय मंत्री से प्रस्तावित पनबिजली परियोजना का बंद कार्य को पूरा करने की मांग:-
उदाकिशुनगंज अनुमंडल के ग्वालपाड़ा प्रखंड के अरार स्थित सुरसर नदी पर बहुउद्देशीय एवं अत्यंत ही महत्वपूर्ण प्रस्तावित पन बिजली परियोजना का बंद कार्य को पूरा करने की मांग के समर्थन मे सामाजिक कार्यकर्ता बसंत कुमार झा ने केन्द्रीय उर्जा मंत्री भारत सरकार को पत्र लिखकर प्रस्तावित अत्यंत ही उपयोगी पनबिजली परियोजना के संबंध मे पत्र लिखा है. केंद्रीय मंत्री को दिए गए पत्र में बसंत कुमार झा ने कहा कि सुरसर नदी पर 1999 मे ही नावाड द्वारा वित्त पोषित परियोजना की विधिवत कार्य शूरू किया गया था। एवं 2015 तक परियोजना को प्रारंभ करने की लक्ष्य निर्धारित किया गया था.लेकिन इस अत्यंत ही जनोपयोगी बिजली परियोजना की काम बंद है.उन्होंने पत्र में लिखा है कि इस पनबिजली परियोजना के आरंभ होने से उदाकिशुनगंज अनुमंडल समेत आसपास के क्षेत्र को सस्ते एवं सुलभ रूप से बिजली मिल सकती है.साथ ही इसके होने से उदाकिशुनगंज अनुमंडल के आम आवाम एवं किसानो को भी काफी फायदा होगी.सामाजिक कार्यकर्ता बसंत कुमार झा ने व्यापक लोक हित मे अविलंब इस पनबिजली परियोजना को पुर्ण करने की मांग केन्द्रीय ऊर्जा मंत्री से किया है.
