बिहार पुलिस और बिहार सरकार ने शराबबंदी को अवैध उगाही,तस्करी और भ्रष्टाचार का एक सशक्त उपकरण बना लिया-तेजस्वी
न्यूज़96इंडिया,बिहार
राजद नेता तेजस्वी यादव ने बिहार के शराबबंदी कानून पर बड़ा प्रहार किया है।उन्होंने प्रेस वार्ता करते हुए कहा कि शराबबंदी के नाम पर बिहार में 𝟒𝟎 हज़ार करोड़ से अधिक के अवैध कारोबार यानि 𝐁𝐥𝐚𝐜𝐤 𝐌𝐚𝐫𝐤𝐞𝐭 अर्थात् काला बाजार की समानांतर अर्थव्यवस्था चल रही है।
शराबबंदी कानून के तहत अब तक 𝟗 लाख 𝟑𝟔 हजार 𝟗𝟒𝟗 मुकदमें दर्ज किए गए हैं। इन मुकदमों में 𝟏𝟒 लाख 𝟑𝟐 हजार 𝟖𝟑𝟕 लोगों की गिरफ़्तारियां हुई है। इनमें से लगभग (𝟏𝟒 लाख, 𝟐𝟎 हजार 𝟕𝟎𝟎 से अधिक लोग गरीब, दलित, पिछड़े और अतिपिछड़े वर्गों के है यानि 𝟗𝟗% से भी अधिक) बाक़ी बचे 𝟏 प्रतिशत से कम गिरफ़्तार लोगों में ग़ैर दलित, ग़ैर पिछड़ा/गैर अतिपिछड़ा और अन्य राज्यों के लोग है।
इस सरकार की हैसियत और औक़ात नहीं कि ये बिहार में ग़ैर दलित-ग़ैर पिछड़ा/गैर अतिपिछड़ा को शराबबंदी के नाम पर जेल में डाल दें क्योंकि वो सभी सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक और धार्मिक रूप से सशक्त और प्रभावशाली है। इनका कानून बस गरीबों पर चलता है।
कहने का तात्पर्य यह है कि इन्होंने शराबबंदी को दलितों-पिछड़ों और अतिपिछड़ों को मानसिक, शारीरिक, सामाजिक और आर्थिक प्रताड़ना देने का एक टूल बना दिया है। गरीबों को तंग करने, उनका खून चूसने और लूटने का एक 𝐈𝐧𝐬𝐭𝐫𝐮𝐦𝐞𝐧𝐭 बना लिया है।
सरकार के आँकड़ों के अनुसार 𝟑 करोड़ 𝟖𝟔 लाख 𝟗𝟔 हजार 𝟓𝟕𝟎 लीटर शराब बरामद की गई। इसमें 𝟐 करोड़ 𝟏𝟎 लाख 𝟔𝟒 हजार 𝟓𝟖𝟒 लीटर विदेशी तथा 𝟏 करोड़ 𝟕𝟔 लाख 𝟑𝟏 हजार 𝟗𝟖𝟔 लीटर देशी शराब शामिल है।
इसका मतलब हुआ कि बिहार में विदेशी शराब की खपत अधिक है। अब गरीब लोग तो 𝟐 करोड़ 𝟏𝟎 लाख लीटर विदेशी शराब पियेंगे नहीं? फिर बिहार में विदेशी शराब कौन पीता है? अमीर लोग- जिन्हें ये भ्रष्ट सरकार और पुलिस गिरफ़्तार नहीं करती? ये तो गरीबों, दलितों और अतिपिछड़ों के दुश्मन है।
सरकार बताएँ कि उन्होंने 𝟏𝟒 लाख से अधिक दलितों और अतिपिछड़ों को गिरफ़्तार कर कितने परिवार उजाड़े है?
सरकार बतायें कि 𝟗 लाख 𝟑𝟔 हजार 𝟗𝟒𝟗 मुकदमें दर्ज होने और 𝟏𝟒 लाख 𝟑𝟐 हजार 𝟖𝟑𝟕 लोगों को गिरफ़्तार करने के बाद भी, अब भी बिहार में शराब कहाँ से आ रही है? शराब किसकी मिलीभगत से आ रही है? सप्लाई कौन कर रहा है?
सरकार बतायें कि 𝟗 लाख 𝟑𝟔 हजार 𝟗𝟒𝟗 मुकदमें दर्ज होने, 𝟏𝟒 लाख 𝟑𝟐 हजार 𝟖𝟑𝟕 लोगों को गिरफ़्तार करने और 𝟑 करोड़ 𝟖𝟔 लाख 𝟗𝟔 हजार 𝟓𝟕𝟎 लीटर शराब बरामद होने के बावजूद भी क्या अभी तक किसी जिला के पुलिस अधीक्षक, 𝐒𝐏, 𝐃𝐒𝐏 इत्यादि को निलंबित किया गया? अगर नहीं तो क्यों नहीं? मतलब अधिकारियों का कहीं कोई दोष नहीं बस गरीब दलित-अतिपिछड़ा ही दोषी है?
अगर 𝟑 करोड़ 𝟖𝟔 लाख 𝟗𝟔 हजार 𝟓𝟕𝟎 लीटर शराब बिहार में आने के बाद भी अगर इसकी दोषी पुलिस नहीं है, उच्च स्तरीय पुलिस अधिकारी नहीं है तो फिर बिहार में तस्करी कौन करा रहा है? क्या इसका मतलब यह नहीं है कि पुलिस भी तस्करी में लिप्त है? नीतीश कुमार जवाब दें?
बताइए अगर पटना में शराब उपलब्ध है तो इसका सीधा अर्थ है कि यहाँ शराब बिहार बॉर्डर पार करने के बाद कम से 𝟒-𝟓 जिला और 𝟏𝟐-𝟏𝟓 से अधिक थानों की सीमा पार कर पटना पहुँचती है फिर भी नहीं पकड़ाई जाती?
क्या यह सच नहीं है कि जो अधिकारी 𝐃𝐊 नामक व्यक्ति को 𝐃𝐊 𝐓𝐚𝐱 का जितना अधिक चढ़ावा चढ़ाता है उसे उतने ही बड़े, 𝐂𝐫𝐞𝐚𝐦𝐲 और सीमावर्ती जिले की पोस्टिंग मिलती है?
क्या यह सच नहीं है कि सीमावर्ती जिले में ही 𝐏𝐨𝐬𝐭𝐞𝐝 रहने वाले अधिकारी का तबादला 𝐃𝐊 𝐓𝐚𝐱 𝐋𝐨𝐨𝐭𝐢𝐧𝐠 प्रणाली के तहत फिर सीमावर्ती जिले में ही किया जाता है? अगर सरकार का कोई टुटपुँजिया व्यक्ति भी यह 𝐝𝐞𝐭𝐚𝐢𝐥 माँगेगा तो हम उपलब्ध करा देंगे। ऐसी सूची बहुत लंबी है। 𝐃𝐊 𝐓𝐚𝐱 की जड़ें बहुत गहरी है।
क्या यह सच नहीं है कि शराबबंदी विफल ही 𝐍𝐊-𝐃𝐊 की जुगलबंदी के कारण हुई है?
इस झूठी शराबबंदी के नाम पर दलितों और अतिपिछड़ों पर अत्याचार के दोषी सरकार है। पासी भाइयों के रोटी-रोजगार को छिना जा रहा है।