उदाकिशुनगंज अनुमंडल का गौरवशाली इतिहास,समय के साथ साथ बदल रही है उदाकिशुनगंज अनुमंडल की तस्वीर
:-उदाकिशुनगंज अनुमंडल का 43वां स्थापना दिवस विशेष
:-ऐतिहासिक व गौरवशाली है उदाकिशुनगंज का अतीत
:-गौरवशाली इतिहास और सुनहरे अतीत के आंकड़ों के अलावे भी कुछ बातें उदाकिशुनगंज अनुमंडल के वर्तमान दर्द को रेखांकित करता है
कौनैन बशीर,न्यूज़96इंडिया,बिहार
अपने मजबूत व गौरवशाली अतीत के स्तंभ पर खड़े उदाकिशुनगंज अनुमंडल आज 43 वर्ष के हो गए 21 मई 1983 के दिन उदाकिशुनगंज अनुमंडल का दर्जा प्राप्त हुआ था. 6 प्रखंडों का प्रतिनिधित्व करने वाले उदाकिशुनगंज अनुमंडल एक तरफ जहां हाल के वर्षों में विकास के कसीदे गढ़े जा रहे हैं. वही दूसरी तरफ बाढ़ प्रभावित और ग्रामीण क्षेत्र में विकास की और भी दरकार है. ग्रामीण क्षेत्रों में जहाँ सर्वांगीण विकास का ढिंढोरा पीटा जा रहा है तो ऐसे में अनुमंडल की बदहाली,उन दावों की सच्ची तस्वीर बयां करते हुए अनुमंडल वासियों को मुह चिढ़ा रहा है. बहरहाल हाल के वर्षों में विभिन्न कार्यालयों में बड़ी बड़ी इमारतें, एसएच 58 और एनएच 106 बन रहे चकाचक सड़कें विकास को दिखा रहा है. लेकिन जिस गति से यहां का विकास होना चाहिए उस हिसाब से नही हो सका. तमाम विकास के दावों के बीच आज भी कई ऐसे मुद्दे है, जिसको लेकर समस्या बरकरार है.
विकास में दो कदम आगे निकल रहा अनुमंडल :-
उदाकिशुनगंज अनुमंडल क्षेत्र में हाल के दिनों में विकास की कई बड़ी-बड़ी योजनाओं पर काम हुआ है. बीड़ी रणपाल में सीएनजी प्लांट,एएनएम डिग्री कॉलेज,पोलिटेक्निक कॉलेज,कोल्ड स्टोरेज एवं मिल्क प्रोसेसिंग प्लांट,राइस मिल,बिजली पावर ग्रिड इसके अलावा मछली व दूध के मामले में उदाकिशुनगंज अनुमंडल के किसानों की अलग पहचान है.
16वीं सदी में हरिश नामक व्यक्ति ने उदाकिशुनगंज की बुनियाद रखी :-
16वीं सदी के छाया परगना के अधीन यह क्षेत्र घनघोर जंगल,कोसी नदी तथा उसकी छाड़न नदियों से आच्छादित हुआ करती थी. किवदंतियों के अनुसार,छोटा नागपुर से मात्र एक परिवार चलकर इस दुर्गम स्थान पर पहुँचा और यहीं का होकर रह गया. हरिश नामक व्यक्ति ने घूम-घूमकर विभिन्न जातियों तथा संप्रदायों से जुड़े परिवारों को यहाँ एकत्रित कर बसाना शुरू किया और धीरे-धीरे यहाँ की आबादी ने नगर का रूप ले लिया. सन् 1703 ई० में उदय सिंह नामक एक क्षत्रिय चंदेल राजपूत ने इस क्षेत्र पर अपना अधिकार जमाया और यहाँ के वासिंदो के लिये कुंआ,सराय,आवागमन तथा जान-माल की रक्षा आदि जैसी सुविधाओं को लोगों तक पहुँचाया. तत्पश्चात उदय सिंह के उत्तराधिकारियों ने शाह शुजा से अपने अधीनस्थ क्षेत्र के राजस्व का वैधानिक फरमान प्राप्त कर शासन का सूत्रधार बना.
कोसी का पहला शहीद बाजा साह के धरती पर उपेक्षित है धार्मिक स्थल :-
अनुमंडल क्षेत्र का अपनी ऐतिहासिक व सांस्कृतिक पहचान के अलावे आजादी में भी महत्वपूर्ण योगदान रहा है. यहाँ के बाजा साह स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई में 20 अगस्त 1942 को शहीद हुए थे. पूरे कोसी क्षेत्र में पहला शहीद होने का गौरव प्राप्त है. अनुमंडल अंतर्गत सरसंडी में बादशाह अकबर द्वारा निर्मित एक विशाल मस्जिद जो मिट्टी में दबी हुई है. अकबर कालीन गंधबरिया राजा बैरीसाल का किला,चंद्रगुप्त द्वितीय काल में स्थापित नयानगर का मां भगवती मंदिर,चंदेल शासकों द्वारा आलमनगर में निर्मित जलाशय और दुर्ग,आलमनगर के खुरहान में स्थित माँ डाकिनी का अतिप्राचीन मंदिर,आलमनगर में राजा का ड्योढ़ी,चौसा में स्थित मुगल बादशाह रंगीला के समकालीन चरवाहाधाम पचरासी,चौसा के चंदा में स्थित अलीजान शाह का मकबरा,ग्वालपाड़ा के नौहर ग्राम में मिले अवशेष आदि अनगिनत साक्ष्य अनुमंडल के समृद्ध इतिहास के प्रमाण आज भी मौजूद हैं. वही ग्वालपाड़ा के मझुआ गांव के बीसवीं सदी के महान संत परमहंस महर्षि मेंही दास महाराज की जन्म स्थली सदियों से उपेक्षित है. इन स्थलों पर हर रोज बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ लगती है. आस्थावस दूर दूर से लोग पहुंचते है. इन स्थलों को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की जरूरत है.
कैसे मिला उदाकिशुनगंज अनुमंडल का दर्जा :-
अंग्रेजी हुकूमत के समय सन्-1883 ई. में यहां मुंसिफ कोर्ट हुआ करता था. 80 वर्ष बाद 1962 में आयी भयंकर बाढ़ के कारण यहाँ का मुंसिफ कोर्ट सुपौल में स्थानांतरित कर दिया गया था लेकिन 1970 में शिक्षाविद कुलानंद साह के नेतृत्व में उदाकिशुनगंज को अनुमंडल का दर्जा दिये जाने की मांग उठी. तत्पश्चात तत्कालीन विधायक सिंहेश्वर मेहता,आलमनगर राज परिवार के विधान परिषद सदस्य बागेश्वरी प्रसाद सिंह,आलमनगर राजपरिवार के पूर्व मंत्री एवं तत्कालिक विधायक वीरेंद्र कुमार सिंह,कांग्रेस के वरिष्ठ नेता विष्णु देव सिंह,शिक्षा विदृ रामचन्द्र सिंह, सरयुग प्रसाद सिंह,मेघराज बोथरा,स्वतंत्रता सेनानी भागवत सिंह,भोला मिश्रा सहित अन्य लोगों के सकारात्मक प्रयास के बदौलत ही अनुमंडल का दर्जा प्राप्त हो सका. जहां 21 मई 1983 ई में तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. जगन्नाथ मिश्रा के द्वारा अनुमंडल का उद्घाटन किया गया.
उदाकिशुनगंज में नही पकड़ सकी रेल की रफ्तार :-
उदाकिशुनगंज को रेल सेवा से अबतक नहीं जोड़े जाने से आमलोगों को कसक है. इस क्षेत्र के लोग 80 के दशक से ही रेल लाइन बिछाने की मांग करते आ रहे हैं. आलम यह है कि उदाकिशुनगंज, चौसा, पुरैनी, आलमनगर, ग्वालपाड़ा समेत पूर्णिया,भागलपुर व खगड़िया जिले के सीमावर्ती क्षेत्रों की बड़ी आबादी रेलवे लाइन से अब भी महरूम है. कई रेलमंत्री की घोषणा के बावजूद यह क्षेत्र पूर्ण रूप से उपेक्षित है. रेल मंत्रालय की बेरुखी के कारण आजादी के बाद भी उदाकिशुनगंज अनुमंडल के बिहारीगंज से आगे रेल का विस्तार नहीं हो सका. तत्कालीन रेलमंत्री ललित नारायण मिश्र ने कई रेल पथ विस्तार की स्वीकृति दी थी बिहारीगंज रेलवे स्टेशन की स्थापना 1943 में ब्रिटिश शासनकाल में की गयी थी. रेल पथ बिहारीगंज से बनमनखी तक बना,लेकिन आजादी के बाद जब पहली नजर बिहारी नेता के रूप में ललित नारायण मिश्र रेलमंत्री बने तो बिहारीगंज से नवगछिया वाया उदाकिशुनगंज, पुरैनी, चौसा, बिहारीगंज से कोपरिया वाया उदाकिशुनगंज,आलमनगर,बिहारीगंज से कुर्सेला, बिहारीगंज से सहरसा वाया ग्वालपाड़ा, बिहारीगंज से छातापुर वाया मुरलीगंज, बिहारीगंज से सिमरी बख्तियारपुर तक रेल लाइन विस्तार परियोजना की स्वीकृति दी थी. लाइन का सर्वेक्षण भी करा चुके थे. लेकिन उनके निधन के बाद सभी परियोजनाएं दबी की दबी रह गयी.
अनुमंडल के एनएच 106 और एचएस 58 की सड़कों पर दौर रही मौत :-
अनुमंडल की सड़को में मौत मंडरा रही है. एनएच 106 और उदाकिशुनगंज भटगामा एसएच 58 की चकाचक सड़क में रोजाना सड़क एक्सीडेंट हो रहे हैं. अब तक दर्जनों सड़क हादसे हो चुके हैं. जिनमें कई अनमोल जिंदगियां खत्म हो गई और कई परिवार उडज़ गए. लगातार हो रही मौत के उपरांत तत्कालीन एसडीएम ने उदाकिशुनगंज से भटगामा एचएस 58 मार्ग पर रबर स्टांप लगाने की बात कही गई थी. लेकिन व भी अब तक अधूरा ही है.
कोसी नदी पर सातवां पुल,उदाकिशुनगंज से नेपाल और झारखंड आयेंगे करीब :-
उदाकिशुनगंज अनुमंडल क्षेत्र के फुलौत स्थित कोसी नदी पर फोरलेन पुल से होकर इस साल अंतिम में आवागमन शुरू होने की उम्मीद है. इस पुल को बनाने में सभी तरह की बाधाएं दूर होने के बाद निर्माण कार्य चल रहा है. यह कोसी नदी पर बिहार राज्य में सातवां बड़ी पुल होगी. 4 लेन चौड़ाई वाले इस पुल में 55 मीटर के 128 स्पैन पर काम चल रहा हैं. जहां पुल बन जाने से उदाकिशुनगंज अनुमंडल वासियों के लिए वरदान साबित होगी.
कोसी की ऐतिहासिक व सांस्कृतिक धरोहर है बाबा विशु राउत मेला :-
अनुमंडल के लौआगलान पचरासी स्थित बाबा विशु राउत मंदिर का इतिहास करीब 300 वर्ष से अधिक है. बाबा विशु राउत का मेला कोसी के एतिहासिक व सांस्कृतिक धरोहर की मिसाल है. यह मेला पूरे उत्तर बिहार में प्रसिद्ध है. प्रत्येक वर्ष 13 अप्रैल से तीन दिनों तक लगता है. तीन दिवसीय मेले में विभिन्न राज्य व आसपास के कई जिलों एवं पड़ोसी देश नेपाल से बड़ी संख्या में पशुपालक बाबा विशु राउत की समाधि पर दूध चढ़ाने आते हैं. बाबा विशु राउत के मंदिर में पशुपालकों द्वारा चढ़ाए गए दूध की अवबिरल धारा निरंतर बहती रहती है. लेकिन वहा पंहुचने के लिए अब भी सुगम सड़के नही बन सकी है.
अनुमंडल को पुलिस जिला और दो प्रस्तावित नए प्रखंड बनने की फाइल ठंडे बस्ते में :-
उदाकिशुनगंज अनुमंडल को आज तक पुलिस जिला का दर्जा नही मिल सका. वही नयानगर और सोनामुखी को प्रखंड का दर्जा जबकि मंजौरा ओपी को थाना बनाने की मांग आज तक पूरी नही हो सकी. मामले को लेकर लोगों ने समय समय पर आवाज बुलंद करते रहे हैं.
अनुमंडल में समस्याएं और चुनौतियां भी कम नहीं :-
उपर्युक्त वर्णित गौरवशाली इतिहास और सुनहरे अतीत के आंकड़ों के अलावे भी कुछ बातें उदाकिशुनगंज अनुमंडल के वर्तमान दर्द को भी रेखांकित करता है. ग्रामीण क्षेत्रों की जर्जर सड़क के कारण यातायात कुव्यवस्था,शुद्ध पेयजल की समस्या,क्षतिग्रस्त नहर,आपराधिक घटनाएँ,कमजोर शिक्षा व स्वास्थ्य सुविधाएं,जातिवाद आधारित राजनीति का बोलबाला आदि ऐसे मुद्दे हैं,जिसे नजरअंदाज कर चतुर्दिक विकास की परिकल्पना करना बेमानी साबित होगा. गौरतलब है कि अनुमंडल मुख्यालय में उच्च शिक्षा के नाम पर हरिहर साहा महाविद्यालय एक मात्र सरकारी शिक्षण संस्थान है. लेकिन कॉलेज में भवन का अभाव है. इस कारण आर्थिक रूप से कमजोर बच्चे उच्च शिक्षा से वंचित रह जा रहे है. लेकिन इस वर्ष प्रधानमंत्री ऊषा योजना के तहत कॉलेज में नए भवन बनाए जाने की लोग टकटकी लगाए हुए हैं. बहरहाल
महाविद्यालय वर्तमान समय में घोर अराजकता का शिकार हो अपनी अस्तित्व को बचाने का रोना रो रहा है.
क्षेत्र को मॉडल बनाना प्राथमिकता : पुर्व मंत्री
उदाकिशुनगंज अनुमंडल के विकास में यहां के विधायक सह बिहार विधानसभा के उपाध्यक्ष नरेंद्र नारायण यादव का महत्वपूर्ण योगदान है. वही विधायक नरेंद्र नारायण यादव और निरंजन कुमार मेहता लोगों को स्थापना दिवस की शुभकामना देते हुए उन्होंने कहा कि अनुमंडल क्षेत्र के लोगों का विकास उनका अधिकार है. जनता का सेवक होने के नाते क्षेत्र को मॉडल बनाना उनकी पहली प्राथमिकता होगी.
उदाकिशुनगंज अनुमंडल की कुछ महत्वपूर्ण जानकारियाँ :-
अनुमंडल : एक
प्रखंड : छह
आबादी : आठ लाख
शिक्षित : 45 प्रतिशत
अनुमंडल अंतर्गत एक मात्र बिहारीगंज रेलवे स्टेशन 1931 में बना
गृह आरक्षी विभाग के आदेश से 16 अक्टूबर 1914 को उदाकिशुनगंज में थाना बना
1 अप्रैल 1932 को उदाकिशुनगंज में प्रखंड कार्यालय शुरू हुआ
1987 में यहाँ करीब तीन करोड़ की लागत से उपकारा का निर्माण करवाया गया
29 जनवरी 1995 को यहाँ अंचल कार्यालय का शुभारम्भ हुआ।
अनुमंडल कोर्ट का शुभारम्भ यहाँ 7 सितम्बर 2014 को चीफ जस्टिस रेखा एम दोशित के करकमलों द्वारा किया गया
अनुमंडल स्थापना होने पर जेएन पांडेय यहां के पहले एसडीओ बने,जबकि पंकज कुमार घोष 23 वें एसडीओ के रूप में पदस्थापित होंगे.
111 साल पुराना है उदाकिशुनगंज थाना :-
उदाकिशुनगंज का थाना एक सौ सात साल पुराना है.वर्ष 1914 में उदाकिशुनगंज में थाना स्थापित हुआ. उस वक्त अंग्रेजी हुकूमत थी. अंग्रेजी हुकूमत के समय का बना थाना भवन आज भी धरोहर के रूप में खड़ा है.
नहीं लग पाया उद्योग :-
अनुमंडल क्षेत्र में चीनी मील,फूडपार्क,इंडस्ट्रीयल ग्रोथ सेंटर,मक्का अधारित उद्योग लगाने का मामला ठंडे बस्ते में चला गया. जबकि उद्योग लगने से क्षेत्र के लोग समृद्ध होते.
इस बाबत एसडीएम एसजेड हसन ने बताया कि अनुमंडल क्षेत्र के अपेक्षित विकास के लिए काम हो रहा है. सरकारी योजना का लाभ लोगों तक पहुंचाया जा रहा है. आगे विकास की गति को और बढ़ाया जाएगा.