लोक देवता बाबा विशु राउत राजकीय पांच दिवसीय मेला कि तैयारियां जोरो पर,आगामी 14 अप्रैल को मेला का शुभारंभ किया जाएगा
न्यूज़96इंडिया,बिहार
मधेपुरा जिले के चौसा प्रखंड अंतर्गत लौआलगान से तीन किलोमीटर दक्षिण पचरासी स्थान पर अवस्थित लोक देवता बाबा विशु राउत मंदिर न केवल अपने धार्मिक महत्व के कारण सैकड़ों वर्षो से जाना जाता है,प्रत्येक सोमवार एवं शुक्रवार को वैरागन मेला में श्रद्धा एवं भक्ति के साथ यहां दुधाभिषेक किया जाता है।
प्रत्येक वर्ष मेष सतुआ` सक्रांति के अवसर पर 14 अप्रैल से पांच दिवसीय विशाल मेले का आयोजन किया जाता है। मेले में विभिन्न राज्यों एवं जिलों से आये पशुपालक भक्तो द्वारा बाबा विशु राउत की प्रतिमा पर दुधाभिषेक किया जाता है।
पशुपालक भक्तों द्वारा चढ़ाये गये दूध की यहां सरिता बहती है।यहां के ग्रामीणों तथा चरवाहों ने मिलकर एक मंदिर का निर्माण किया और पूजा-अर्चना तथा दूध अर्पित करने लगे। बाबा विशु के प्रति भक्तों में आज भी वही आस्था है जो वर्षों पूर्व में थी।
बिहार के अलावा उत्तर प्रदेश,पश्चिम बंगाल और नेपाल के इलाके से भक्तजन कच्चा दूध बाबा की समाधि पर प्रतिवर्ष चढ़ाने आया करते हैं। लगने लगी है दुकाने आगामी 14 अप्रैल से शुरू हो रही पूर्वोतर बिहार के सुप्रसिद्ध बाबा विशुराउत मेला की तैयारी जोरो पर। मेला परिसर में दुकाने लगने लगी है।
मेला में हर वर्ग के लोगों की पसंद की चीजें आ रही है। महिलाएं एवं बच्चों के मनोरंजन के लिए मेला में सर्कस,सिनेमा,मौत का कुआं,जादूघर,ड्रेगन झूला,टावर झूला आदि लगने लगे हैं।
लोक संस्कृति की पहचान है।मधेपुरा,पूर्णिया,भागलपुर एवं खगड़िया जिले के बीच सीमा पर अवस्थित चैसा प्रखंड के लौआलगान पचरासी स्थल में पशुपालकों के देवता बाबा विशुराउत की समाधि पर श्रद्धालु अपनी मनोकामनाएं पूरी होने पर दूध चढ़ाते हैं। प्रत्येक वर्ष यहां पांच दिवसीय विशाल मेला का आयोजन किया जाता है।
प्रचंड गर्मी में यहां श्रद्धालुओं की भीड़ और आस्था ने लोकदेवता बाबा विशुराउत पचरासी स्थल का महत्व बढ़ा दिया है। शांति एवं मनोरम स्थल में स्थित यह मंदिर अपनी सौम्यता के लिए विख्यात है। यहां प्रत्येक सेमवार एवं शुक्रवार को जौनार में हजारों श्रद्धालु आकर दुधाभिषेक करते हैं।
पशु का पहला दुध चढ़ता है यहां पूर्वोतर बिहार में पशु देवता के रूप में बाबा विशुराउत ने काफी प्रसिद्धि पाई है। इनके अलौकिक प्रताप की वजह से पशुपालक अपने पशु के पहला दूध से बाबा का अभिषेक करते हैं। श्रद्धालुओं द्वारा इतना दुधाभिषेक किया जाता है कि यहां दूध की सरिता बहने लगती है।
श्रद्धालुओं द्वारा दूध के साथ गांजा भी चढ़ाया जाता है। बाबा के दरबार में श्रद्धालुओं का ताता प्रत्येक दिन लगा रहता है।लोगों की आस्था है अपार भक्तजन दूर दराज से घंटों यात्रा कर बाबा का दुधाभिषेक करने आते हैं। लोगों की इस जगह को लेकर अपार आस्था है। यही कारण हैॅ कि यहां पशुपालक और अन्य श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है।
बाबा को कच्चा दुध ही चढ़ाया जाता है। आश्चर्य की बात है चढ़ाने वाला दूध गर्मी के मौसम में भी नही फटता है। चाहे मंदिर तक आने में कितने दिन क्यों ना गुजर जायें।
स्थानीय लोगों को है कसक इस जगह की दयनीय स्थिति को देखकर स्थानीय लोगों के मन में कसक है। दंगल का होगा आयोजन शहीद योगेन्द्र तूफान की स्मृति में कुश्ती दंगल का भी आयोजन रखा गया है।
इस दंगल में विभिन्न जगहों के नामीग्रामी पहलवान भाग लेंगे।