घोषणाओं के पटरी पर दौड़ रही ” भारतीय रेल ” ,कोसी में नहीं रफ्तार पकड़ सकी मोदी की रेल
शिलान्यास और वायदों में सिमट कर रह गई नई रेल लाईन परियोजना
पूर्ववर्ती सरकार से लेकर वर्तमान सरकार ने किए वायदे
गौरव कबीर,न्यूज़96इंडिया,एडिटर
किसी भी देश को विकसित श्रेणी में लाने के लिए यातायात की सुविधा महत्वपूर्ण है। यधपि कोसी क्षेत्र में रेल यातायात को कौन कहें सड़क यातायात भी पूर्ण रूप से विकसित नहीं है। उदाकिशुनगंज अनुमंडल क्षेत्र के एक सौ किलोमीटर के दायरे में यातायात का विकसित नहीं होने से इसका असर आमजनों पर पड़ रहा है। फलत: लोगों की खून पसीने की कमाई बेकार चली जा रही है। यदि इलाके में यातायात विकसित हुआ होता तो लोग समृद्ध होते। किसानों और व्यवसायों को लाभ मिल पाता। उचित बाजार मंडी से जुड़ने से लोग समृद्ध होते। यूं कहें कि कोसी क्षेत्र में रेल रफ्तार नहीं पकड़ पाई। यहां पर कई नई रेल लाईन परियोजना का शिलान्यास हुआ। कई परियोजनाओं को लेकर आश्वासन भड़ा गया। महज शिलान्यास और घोषणाओं में विकास की पटरी सिमट कर रह गई।विकास की पटरी पर रेलगाड़ी की रफ्तार पर ब्रेक लग कर रह गया।उदाकिशुनगंज अनुमंडल क्षेत्र के एक सौ किमी के दायरे में रेल की सुविधा नहीं है।इस वजह से विकास की गति धीमी पड़ कर रह गई।कई बिहारी नेता रेलमंत्री बने ।यधपि कोसी में रेल का जाल बिछाने की कवायद वायदों तक ही सिमट कर रह गया।नई रेल लाईन बिछाने की परियोजना का शिलान्यास भी हुआ।लेकिन दशकों बाद भी रेल लाईन नहीं बिछ पाया।ईलाके के लोगों के लिए परियोजना द्विस्वपन बन कर रह गया।जबकि रेलगाड़ी के रफ्तार के साथ विकास की गति भी तेज होती।रेल की पटरी से विकास की गति को रफ्तार मिलता।लोस चुनाव के वक्त सियासत दान इन परियोजनाओं की याद ताजा करा जाते है।लेकिन चुनाव बाद भूल जाते है।यहां तक कि विपक्षी भी मुद्दे को भूला देते है।रेल के मसले पर आवाज नहीं उठती है।उदाकिशुनगंज अनुमंडल में नई रेललाइन को लेकर दशको पूर्व संघर्ष समिति भी बनी।संघर्ष समिति समय समय पर रेलमंत्रालय को परियोजना की याद दिलाता रहा।संघर्ष समिति के कई सदस्य दिवंगत भी हो गए।नई रेल लाईन को लेकर शिलान्यास और भूमि का सर्वेक्षण भी हुआ।बावजूद कि रेल लाईन नहीं बिछ पाया।रेल यातायात की सुविधा नहीं रहने से किसान और व्यवपारियों को परेशानी होती है।लोग उपजाऊ फसल को उचित बाजार या मंडी तक नहीं पहुंचा पाते है।जिस कारण किसानों के मेहनत बेकार चली जाती है।
इन परियोजनाओं पर होना है काम:-
बिहारीगंज- उदाकिशुनगंज- कोपरिया, नवगछिया- चौसा- उदाकिशुनगंज- बिहपुर, नवगछिया- उदाकिशुनगंज-
सिंहेश्वर, कुर्सेला- रूपौली- बिहारीगंज,
बिहारी रेलमंत्री ने भड़ी थी हामी:-
कोसी में रेल लाईन का जाल बिछाने का सपना तत्कालीन रेल मंत्री ललित नारायण मिश्र ने संजोया था।उसके बाद के बिहारी नेता रामविलास पासवान, नीतीश कुमार, लालू यादव ने भी परियोजना को लेकर हामी भड़ी।थोड़ा पीछे चले तो तत्कालीन रेल राज्य मंत्री माधव राव सिंधया ने 17 मार्च 1988 को उस समय के विधायक शशिनाथ झा को पत्र लिखकर अवगत कराया कि आर्थिक तंगी के वजह से वर्तमान समय में परियोजना को शामिल करना संभव नहीं है।उसके बाद रामविलास पासवान के मंत्रीतत्व काल में रेल मंत्रालय के सचिव ने अपने पत्रांक 98/डब्लू- 1/एनई/ सीए-111/54 दिनांक 30.09.1998 के द्वारा संघर्ष समिति के सचिव मुकुंद प्रसाद यादव को अवगत कराया कि परियोजना को लेकर सर्वेक्षण का कार्य अंतिम दौर में है।बाद में रेल मंत्रालय द्वारा बताया गया कि सर्वेक्षण का काम पूरा कर लिया गया।तत्कालीन रेलमंत्री रामविलास पासवान ने कुर्सेला में परियोजना का शिलान्यास भी किया।उसके बाद नीतीश जब रेलमंत्री बने तो परियोजना की आस जगी।संघर्ष समिति के सदस्यों ने 12 जनवरी 2004 ई. को मधेपुरा में और बाद में दिल्ली जाकर परियोजना की जानकारी दी।नीतीश कुमार ने भी परियोजना को जरूरी बताया और संघर्ष समिति के सदस्यों को परियोजना को पूरा कराने का भरोसा दिलाया।लालू प्रसाद यादव ने भी परियोजना को बेहद खास बताया था।लालू यादव रूपौली के कार्यक्रम में परियोजना की आधारशिला रखी।परियोजना का हश्र वायदों और शिलान्यास में सिमट कर रह गया।
फाइलों में दफन होकर रह गई परियोजना:-
नई रेल लाइन में बिहारीगंज से नवगछिया वाया उदाकिशुनगंज,पुरैनी,चौसा,बिहारीगंज से कोपरिया वाया उदाकिशुनगंज,आलमनगर,बिहारीगंज से कुर्सेला,बिहारीगंज से सहरसा वाया ग्वालपाड़ा,बिहारीगंज से छातापुर वाया मुरलीगंज, बिहारीगंज से सिमरी बख्तियारपुर तक रेल लाइन विस्तार प्रस्तावित किया गया था। यह रेल लाइन 130 किलोमीटर का होना बताया गया था,परंतु कई वर्ष बीत जाने के बावजूद रेल लाइन का कार्य प्रारंभ नहीं किया गया।
दशकों पुरानी है मांग:-
उदाकिशुनगंज अनुमंडल क्षेत्र के लोग 80 के दशक से ही रेल लाइन बिछाने की मांग करते आ रहे हैं।जबकि उदाकिशुनगंज,चौसा,आलमनगर,पुरैनी,ग्वालपाड़ा समेत पूर्णिया,भागलपुर व खगड़िया जिले के सीमावर्ती क्षेत्रों में रह रही एक बड़ी आबादी मात्र बिहारीगंज रेलवे पर ही निर्भर है
घोषणा के बावजूद भी अधर में है योजना:-
कई रेलमंत्री की घोषणा के बावजूद यह क्षेत्र पूर्ण रूप से उपेक्षित है।रेलमंत्री की घोषणा एक मात्र छलावा साबित हुआ है।जनप्रतिनिधियों की उपेक्षापूर्ण रवैये के कारण उदाकिशुनगंज अनुमंडल को रेल सेवा से अबतक नहीं जोड़े जाने से आमलोगों में नराजगी है। गौरतलब है कि रेल मंत्रालय की बेरुखी के कारण आजादी के बाद उदाकिशुनगंज अनुमंडल के बिहारीगंज से आगे रेल का विस्तार नहीं हो पाने के कारण लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। बताया जाता है कि तत्कालीन रेलमंत्री ललित नारायण मिश्र ने कई रेल पथ विस्तार की स्वीकृति दी थी।ज्ञात हो कि बिहारीगंज रेलवे स्टेशन की स्थापना 1943 में ब्रिटिश शासनकाल में की गयी थी।रेल पथ बिहारीगंज से बनमनखी तक बना,लेकिन आजादी के बाद जब पहली नजर बिहारी नेता के रूप में ललित नारायण मिश्र रेलमंत्री बने तो बिहारीगंज से आगे तक कई रेल पथ परियोजनाओं की स्वीकृति दिये थे।लाइन का सर्वेक्षण भी करा चुके थे।लेकिन उनके निधन के बाद सभी परियोजनाएं दबी की दबी रह गयी,जबकि बाद में कई बिहारी सांसद रेलमंत्री रहे।
परियोजना पर किसी भी रेलमंत्री ने नहीं दिया ध्यान:-
तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद ने राज्यसभा में एक प्रश्न के दौरान बिहपुर से बिहारीगंज वाया पचरासी स्थल,लौआलगान,चौसा, पुरैनी रेल पथ की घोषणा किए थे। वह भी मूर्त रूप नहीं ले सका।जबकि तत्कालीन राज्य सभा सदस्य डा. जगन्नाथ मिश्र ने चार मई 1995 को सदन में इन सारी रेल लाइन विस्तार परियोजनाओं के क्रियान्वयन कराये जाने के लिए सदन में आवाज उठा कर बहस का मुद्दा बनाया था। लेकिन यह आवाज भी रेलमंत्री के आश्वासन के सहारे दब कर रह गयी। बताया जाता है कि जब रेलमंत्री नीतीश कुमार थे, तब पूर्णिया के तत्कालीन सांसद जयकृष्ण मंडल की मांग पर दालकोला से कोपरिया वाया पूर्णिया,भवानीपुर,बिहारीगंज,उदाकिशुनगंज,आलमनगर रेल लाइन विस्तार परियोजना की स्वीकृति दी थी।
रेलमंत्री पद से हटते ही परियोजना पर लगा ग्रहण:-
12 जनवरी 2004 को तत्कालीन रेलमंत्री नीतीश कुमार ने मधेपुरा व बाद में दिल्ली में उक्त परियोजनाओं पर अपनी सहमति व्यक्त की थी। इस परियोजना का सर्वे भी कराया गया था,लेकिन सर्वे के बाद नीतीश कुमार के रेलमंत्री पद से हटते ही इस परियोजना को ग्रहण लग गया। 15 नवंबर 1997 को तत्कालीन रेलमंत्री रामविलास पासवान ने मधेपुरा में घोषणा की थी कि इन सारी रेल परियोजनाओं पर जल्द काम शुरू करवा दिया जायेगा वैसे इसके पूर्व पासवान ने चार नवंबर 1996 को कुर्सेला वाया बिहारीगंज,चौसा होते हुए सहरसा तक रेल परियोजना का शिलान्यास किये थे।वह भी शिलान्यास तक ही में ही सिमट कर रह गया। इस कार्य के सर्वेक्षण में लाखों रुपये खर्च किये गये और परियोजना पर 150 करोड़ रुपये खर्च का अनुमान था। तत्कालीन रेलमंत्री लालू प्रसाद यादव ने रूपौली में बिहारीगंज से कुर्सेला रेल मार्ग का शिलान्यास किया,लेकिन आज तक नसीब नहीं हो पाया।
परियोजनाओं को मूर्त रूप देने की मांग:-
सामाजिक कार्यकर्ता बसंत कुमार झा ने रेलमंत्री को पत्र भेज कर उक्त परियोजनाओं को लेकर इस वर्ष के रेल बजट में प्रस्ताव में लेने के साथ योजना को मूर्त रूप देने की मांग करते हुए बताया था कि कुर्सेला से बिहारीगंज रेल मार्ग को रूपौली,चौसा,पुरैनी एवं उदाकिशुनगंज के रास्ते यदि बिहारीगंज में मिलाया जाता है,तो एक बड़ी आबादी रेल सेवा से जुड़ जायेगा।उन्होंने रेल मंत्री और सांसद को पत्र भेजकर उदाकिशुनगंज को रेल मार्ग से जोड़ने की मांग की थी । अनुमंडल मुख्यालय होने के बाद भी इससे वंचित है जिससे इस क्षेत्र का विकास नही हो सका है। पूर्व मधेपुरा सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने बिहपुर से बिहारीगंज भाया पचरासी स्थल चौसा को बजट सत्र में शामिल कराया था।
किसान व व्यापारियों को नहीं मिल रहा बाजार:-
यातायात के अभाव में किसानों और व्यापारियों को उचित बाजार अथवा मंडी नहीं मिल पा रहा है। यदि बाजार मिलता तो इलाके के किसान और व्यवपारी खुशहाल होते। बताते चलें कि इलाके में 90 फीसदी लोग कृषि पर निर्भर है। उचित बाजार अथवा मंडी नहीं मिल पाने के कारण यहां के किसानों को उपजाऊ फसल का सही कीमत नह मिल पाता है। फलत: किसानों की खून पसीने की कमाई बेकार चली जाती है। किसान अपने फसल को व्वपारियो के हाथों कौरी के भाव में फसल बेचने को मजबूर होते हैं।
प्रतिक्रिया –
उदाकिशुनगंज से सिमरी बख्तियारपुर नई रेल लाइन के जुड़ जाने से आवागमन सुगम होगा। उदाकिशुनगंज अनुमंडल सीधा जुड़ाव देश के विभिन्न हिस्सों से हो जाएगा।जहां लोगों के साथ साथ विद्यार्थियों को भी आवागमन में सहूलियत होती रोजगार के अवसर सृजित होते। अनिकेत कुमार मेहता जिला परिषद चौसा
बिहारीगंज से उदाकिशुनगंज होते हुए कुर्सेला तक रेलमार्ग से जोड़ने की परियोजना बहुत पुरानी है। कई साल से सुन रहे हैं,लेकिन अब तक काम शुरू नहीं हो सका।कई रेलमंत्री बिहारीगंज से कुर्सेला रेल मार्ग का शिलान्यास किया,लेकिन आज तक नसीब नहीं हो पाया।
नीतीश राणा
युवा समाजसेवी, उदाकिशुनगंज।
जब हम लोगों को पहली बार जानकारी हुई कि बिहारीगंज उदाकिशुनगंज से सिमरी बख्तियारपुर रेल लाइन का प्रस्ताव सरकार ने पास कर दिया है तो पूरे इलाके के लोग खुश हो गए थे,लेकिन साल दर साल बीत जाने के बाद भी इस रेल लाइन को लेकर कोई कार्य जमीन पर होता नहीं दिख रहा है।इससे निराशा हो रही है
अब्दुल अहद,पुर्व मुखिया
उदाकिशुनगंज से सिमरी बख्तियारपुर नई रेल लाइन का कई बार सर्वे हो चुका है।प्रशासनिक स्वीकृति भी मिल गई थी,फिर भी निर्माण शुरू नहीं हुआ है।अभी यह परियोजना कागजों में दौड़ रही है।जमीन पर कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा है।
सिंहेश्वर मेहता
पूर्व विधायक