उदाकिशुनगंज में सरकार के नल जल योजना हो रही है विफल,जलापूर्ति नहीं होने से लोगों मे आक्रोश
पंचायत के वार्डों में नल जल योजना का लोगों को नहीं मिल रहा है लाभ
नल का जल नहीं मिलने से ग्रामीणों में पनपने लगा विभाग के प्रति आक्रोश
कौनैन बशीर,न्यूज़96इंडिया
सरकार की अति महत्वकांक्षी योजना नल जल योजना बेपटरी होती दिख रही है।इस योजना के क्रियान्वयन को जारी सरकारी दिशा निर्देश की अनदेखी किए जाने से लोगों को इस योजना का लाभ मिलने के बजाय यह कुछ लोगों के लिए फायदेमंद साबित हो रही है।यहां हालत यह है कि कहीं नल नहीं तो,कहीं जल की किल्लत है।जी हां उदाकिशुनगंज प्रखंड का है जहां सरकार की अति महत्वकांक्षी नल जल योजना जो दम तोड़ती हुई नजर आ रही है।नल है लेकिन जल नहीं,इस कारण लोगों मे आक्रोश देखा जा रहा है।ज्ञात हो कि इलाकों में नल का जल योजना को लेकर भले ही युद्ध स्तर पर काम किया गया हो लेकिन आज भी इस योजना के लाभ से अधिकांश आबादी वंचित हैं। कहीं योजना आधी अधूरी तो कही पाइप लाईन पूर्ण होने के बावजूद भी घर तक पानी नहीं पहुंच पा रहा है। विभागीय अधिकारी भी शिकायत के बाद भी लापरवाह बने हैं। उदाकिशुनगंज प्रखंड के पंचायत में इस योजना की हालत अच्छी नहीं है।पंचायत में योजना का काम तो किया गया लेकिन आधा अधूरा छोड़ दिए जाने से लोगों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है।विभागीय लापरवाही का आलम यह कि नल से जल नही टपक रहा है।स्थानीय लोगों ने बताया कि कई बार पीएचईडी के अधिकारियों के साथ-साथ अन्य पदाधिकारियों को इस समस्या से अवगत कराया गया। लेकिन आज तक किसी ने इस समस्या को गंभीरता से नहीं लिया। जलापूर्ति योजना अब हर दरवाजे पर सफेद हाथी के तरह मुह बाये खड़ी है।वही पंचायत के कुछ वार्ड मे अब तक पाइप बिछाने का भी काम नहीं हो सका है।जिस से दर्जनों परिवार अभी भी नल के जल के लिए लालायित है।बावजूद अधिकारी गंभीर नहीं है।लोगों ने कहा कि नीतीश सरकार की महत्वाकांक्षी योजना नल जल कागजी योजना बनकर रह गई है।सरकार ने सात निश्चय योजना की सफलता का दावा करते हुए इसके पार्ट-2 की घोषणा की है। आंकड़े बताते हैं कि पार्ट-1 में शामिल कुछ योजनाएं कुछ जगहों में जमीन पर ही नहीं उतरी है और जहां शुरू हुई वहां महज कुछ फीसद काम ही पूरा हुआ। लेकिन जहां बना भी है तो आज तक पानी की टोटी से पानी नहीं निकला है।वही कुछ वार्डो में पानी की टंकी सफेद हाथी की तरह मुंह बाए खड़ी है।कई बार अधिकारियों से शिकायत की है लेकिन आज तक कोई ध्यान नहीं दिया गया।
पानी का क्या है श्रोत :-
औसतन पांच पीपीएम आयरन होने के कारण जल अनुसंणानकत्र्ताओं की नजर में उदाकिशुनगंज अनुमंडल अत्यधिक लौहयुकत जलीय इलाके के रूप में चिन्हित है।यही कारण है कि आम लोगों को शुद्ध पेयजल मिले इसके लिए कई योजनाए भी चलाई गयी। बताया जाता है कि वर्षो पूर्व यहां अमृत पेयजल योजना आई जो धरातल पर उतरते ही टाय-टाय फिस्स हो गया। जबकि यहां के लोग मुख्यतः चापाकल एवं कुआं को पेयजल स्त्रोत के रूप में उपयोग करते हैं। भूमिगत जल स्त्रोत की गहराई बढ़ जाने के कारण जल में घुले लौह की मात्रा में भी वृद्धि हुई है जो मानव के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है।
20 फीट पर मिलता है पानी :-
पूर्णिया,भागलपुर एवं खगड़िया एवं सहरसा जिला के बीच सीमा पर अवस्थित मधेपुरा जिले के उदाकिशुनगंज प्रखंड समेत सीमावर्ती इलाकों में अमूमन 20 से 25 फीट की गहराई से पानी निकलने लगता है।बकोल विशेषज्ञ भूमिगत जल स्त्रोत की अपेक्षा सतही जल में आयरन की मात्रा कम होती है। लेकिन सतही जल में वैक्टीरिया की मात्रा अत्यधिक होने के कारण यह स्वास्थ्य के लिए और भी घातक समझा जाता है।शुद्ध एवं कम मात्रा वाले आयरन युक्त जल की तलाश में जितनी गहराई तक खोदा जाता है,आयरन की मात्रा बढ़ती ही जाती है।
स्वाद एवं गुण में फर्क :-
आयरन युक्त पानी का स्वाद नैसर्गिक पानी से भिन्न होता है।लौह युक्त जल में बदबू होता है।इस पानी से बनी चाय का रंग काला जबकि पके चावल का रंग भूरा हो जाता है।उजले कपड़े को इस पानी में धोने से कपड़ा मटमैला अथवा पीला होने लगता है।आयरन युक्त जल से भरा रहने वाला बाल्टी,जग,लोटा या डब्बा पीला पड़ने लगता है।इस पानी के उपयोग से मनुष्य का दांत भी काला पड़ने लगता है।
इन बीमारियों का है खतरा :-
आर्सेनिक से त्वचा रोग सहित कैंसर होने का खतरा रहता है. कमजोरी,उम्र से बुढ़ापा,कब्ज,अतिसार,रक्तचाप जैसी बीमारियां शुरू हो जाती है. इसके बाद कब्ज,धड़कन एवं अन्य बीमारियां भी धीरे-धीरे घर करने लगती है।
कितनी होनी चाहिए मात्रा :-
पानी में फ्लोराइड की मात्रा 5.92 मिलीग्राम प्रति लीटर पाई गई है. तबकि उपयोग के लिए अधिकतम सीमा 1.5 मिलीग्राम प्रति लीटर है।आर्सेनिक की मात्रा पांच मिलीग्राम प्रति लीटर पाई गई है।जबकि उपयोग के लिए 0.01 मिलीग्राम अधिकतम सीमा 0.05 मिलीग्राम प्रति लीटर निर्धारित है।इस तरह आयरन की मात्रा 3 मिलीग्राम प्रति लीटर निर्धारित है किन्तु यहां इसकी मात्रा भी अधिक है।
क्या कहते हैं चिकित्सकः-
चिकित्सा पदाधिकारी रूपेश कुमार कहते हैं कि अत्यधिक मात्रा वाले आयरन युक्त जल के उपयोग से हीमोग्लोबिन की संभावना भी बढ़ जाती है।निश्चित मात्रा में आयरन के जल में घुला रहना स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होता है।प्रत्येक वयस्क महिला एवं पुरूष को प्रतिदिन 10 मीलीग्राम आयरन की आवश्यकता होती है जो भोजन के विभिन्न पोषक तत्वों से प्राप्त हो जाता है। शरीर को आवश्यक आयरन की मात्रा पांच प्रतिशत ही जल के माध्यम से होना चाहिए।बकौल चिकित्सक आयरन की मात्रा अधिक होने से भोजन के पाचन में दिक्कत होती है। शरीर द्वारा अवशोषित आयरन का 70 प्रतिशत खून बनाने में मदद करता है।