डीएमडी बीमारी से जूझ रहे हैं आधा दर्जन से अधिक बच्चे, क्षेत्र में दहशत,जमीन जायदाद बेचकर कर रहे इलाज
न्यूज़96इंडिया,बिहार
खगड़िया जिले में इन दिनों डीएमडी नामक दुर्लभ बीमारी की चपेट में आता जा रहा है।कई परिवारों में इस बीमारी का इलाज चल रहा है।ड्यूचेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी’ (डीएमडी) जीन में गड़बड़ी की वजह से होने वाली एक दुर्लभ जेनेटिक (अनुवांशिक) बीमारी से मानसी चकहुसैनी निवासी राजू कुमार के पुत्र माही राज बेलदौर बलतारा निबासी रणधीर कुमार रंजन के पुत्र शिवांश,परबत्ता नयागांव पंचखुट्टी के रंजीत साह के पुत्र प्रियांशू राज ग्रसित है।माही राज बिस्तर पर है तथा प्रियांशु राज व्हीलचेयर पर जिंदगी बिता रहे है। मानसी के राजू कुमार ने अपने बच्चे के लिए सारी पूंजी लगभग तीस लाख रुपए खर्च कर चुके हैं।नयागांव पंचखुट्टी के मजदूर रंजीत साह एकलौता पुत्र के लिए सारी जमीन जायदाद बेचकर लगभग 15 लाख खर्च चुके हैं। बलतारा के रंधीर कुमार भी 17 लाख रुपये बच्चे के लिए खर्च कर चुके हैं।अब परिजनों की आर्थिक स्थिति दयनीय हो चुका है।उनके 7 वर्षीय पुत्र फिलहाल किसी तरह चल फिर रहे हैं।भरतखण्ड निवासी बाल कृष्ण चौधरी एवं पप्पी देवी के दो ही पुत्र है।17 वर्षीय आदर्श कुमार,15 वर्षीय सावन कुमार डीएमडी बीमारी से पीड़ित है।इन दोनों पुत्र के लिए उनके परिजनों ने सारी जमीन जायदाद को बेचकर बीस लाख रुपये खर्च कर चुके हैं। एक पुत्र बिस्तर पर जिंदगी और मौत से जूझ रहा है तो दूसरा व्हीलचेयर पर है। परिजनों की आर्थिक स्थिति दयनीय हो चुका है।
क्या हैं बीमारी के लक्षण:-
सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र परबत्ता में कार्यरत डॉ कुमार आशुतोष ने बताया कि डीएमडी बीमारी की शुरूआत दौर में पांव की मांसपेशियों के कमजोर होने से होती है,जिससे बच्चे को चलने में दिक्कत होने लगती है।लेकिन जल्द ही, ये रोग हृदय और फेफड़ों सहित शरीर की हर मांसपेशी को अपनी चपेट में ले लेता है।।बच्चों में इस बीमारी की पहचान अमूमन उसके एक से दो साल की उम्र के अंदर ही हो जाता है। इस बीमारी में बच्चे की मांसपेशियां सूखने लगती है। बच्चे के चलने-फिरने में परेशानी होती है।अगर वह चलता है तो वह लंगड़ाकर चलता है।अगर ये बीमारी बच्चों में दस साल की उम्र से ज्यादा रह गयी तो उसके हृदय की मांसपेशियां तक सूखने लगेगी,जिससे कि वह कॉर्डियोमायोपैथी का शिकार हो जाता है। 6 से 8 वर्ष की आयु में बच्चा व्हीलचेयर पर पहुँच जाता है इसके बाद 12 साल के उम्र में बच्चा बिस्तर पकड़ लेता है।
सांसद ने संसद में उठाया था मामला:-
विगत दिनों खगड़िया के सांसद राजेश वर्मा ने संसद में डीएमडी पीड़ित बच्चे का मामला उठाया।सांसद राजेश वर्मा में सदन में अपनी बात रखते हुए बताया कि यह बीमारी व बहुत ही गंभीर बीमारी है।इस बीमारी से पूरे देश मे 4 हजार से ज्यादा बच्चे ग्रसित है वही बिहार में लगभग 250 बच्चे भागलपुर में लगभग 16 बच्चे तथा खगड़िया लोकसभा क्षेत्र में लगभग 3 ऐसे बच्चे है जो इस गंभीर बीमारी से जूझ रहे है।इसके व इंजेक्शन के लगभग 17.5 करोड़ व की लागत आती है। इतना मंहगा इंजेक्शन पीड़ित परिवार के लिए असंभव है हम आपके माध्यम से उनके इलाज के लिए सार्थक पहल करने की अपील करते है।
मिल सकती है 6 लाख आर्थिक सहायता:-
मस्कुलर डिस्ट्रॉफी की बीमारी महंगी और पेंचीदा बीमारी की जद में जो बच्चा आया।उसके परिजनों की आर्थिक हालत बच्चे का इलाज कराते-कराते खस्ता हो जाती है। ऐसे में इस महंगे इलाज को लेकर मरीजों को राहत देने की दिशा में राज्य सरकार ने एक बेहतरीन कदम उठाया है। जिसके तहत मस्कुलर डिस्ट्राफी के मरीजों को राज्य सरकार एकमुश्त छह लाख रुपये की आर्थिक सहायता देती है। हालांकि इसको हासिल करने के लिए मेडिकल सर्टिफिकेट व कुछ कागजी औपचारिकता को बीमार बच्चे के परिजनों को पूरी करनी पड़ेगी।